
तेलंगाना का सिद्धिपेट अब देश के इथेनॉल मैप पर चमकने जा रहा है। यहां 150 KLPD (Kilo Litres Per Day) की क्षमता वाला अत्याधुनिक एथेनॉल प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जो न केवल देश की ग्रीन फ्यूल नीति को मजबूती देगा, बल्कि किसानों और स्थानीय उद्योगों को भी नई उड़ान देगा।
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150 KLPD इथेनॉल उत्पादन: भारत के ईंधन आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
सरकार की E20 नीति और एथेनॉल ब्लेंडिंग मिशन को देखते हुए, सिद्धिपेट का यह प्लांट भारत की ऊर्जा जरूरतों में योगदान देगा। प्रतिदिन 150,000 लीटर एथेनॉल का उत्पादन देश की पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की योजना को नई रफ्तार देगा।
111 टन DDGS (डिस्टिलर्स ड्राई ग्रेन्स सॉल्यूबल): पशु आहार में क्रांति
एथेनॉल उत्पादन के बाय-प्रोडक्ट के रूप में निकलने वाला 111 टन DDGS एक उच्च प्रोटीन पशु चारा है। इससे डेयरी और पोल्ट्री उद्योगों को सस्ता और पोषणयुक्त फीड मिलेगा, जिससे किसानों की आय में सीधा इजाफा होगा।
110 टन CO₂ गैस उत्पादन: खाद्य और औद्योगिक उपयोग के लिए वरदान
यह प्लांट प्रतिदिन 110 टन खाद्य-ग्रेड CO₂ भी पैदा करेगा, जिसका उपयोग कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, रसायन उद्योग और कोल्ड चेन जैसे क्षेत्रों में होगा। यह वेस्ट टू वैल्यू मॉडल का आदर्श उदाहरण है।
स्थानीय रोजगार और उद्योग को मिलेगा बूस्ट
प्लांट की स्थापना से स्थानीय लोगों को रोज़गार, किसानों को मोलभाव के बेहतर दाम, और संपूर्ण इकोनॉमी में स्थायित्व मिलेगा। सिद्धिपेट इस पहल से तेलंगाना की इंडस्ट्रियल ग्रोथ का नया केंद्र बनकर उभर रहा है।
कृषि से ऊर्जा तक: किसानों के लिए नया युग
एथेनॉल उत्पादन में उपयोग होने वाला कच्चा माल जैसे मक्का, गन्ना और चावल की मांग बढ़ेगी। इससे किसानों को स्थायी बाजार और बेहतर मूल्य मिलेगा। साथ ही कृषि अवशेषों का उचित उपयोग होगा जिससे प्रदूषण में भी कमी आएगी।